| Genre | Hindi Lyrics | 
| Language | Hindi | 
सन्नाटा ही सन्नाटा है
 गलियों में है तन्हाई
 सन्नाटा ही सन्नाटा है
 गलियों में है तन्हाई
शहरों को छोड़ छाड़ के
 आज गाँव की याद है आयी
 शहरों को छोड़ छाड़ के
 आज गाँव की याद है आई
फिरसे वही महका सा आंगन हो
 जब चाहे उड़ जाए जब चाहे मुड़ जाए
 जब चाहे उड़ जाए जब चाहे मुड़ जाए
 अपने देश को
कुदरत को लूटा
 मानुष को लूटा सफेद चोला ओढ़े
 माल जमकेगा लंगोटा
 मास मची जो मिला सब खा गए
 मानव के भेष में बाबा देखो
 दानव आ गए
नाम भगवान का पैसा अंदर किया
 भ्रष्ट हर एक दर हर एक मंदिर किया
 अब सजा पापों की जब है मिलने लगी
 दुनिया थर थर डर से है हिलने लगी
होगी ना हमसे भूल सीख मिल गई है बाबा
 होगी ना हमसे भूल सीख मिल गई है अब
 हम बचे है तेरे भोले अब तो माफ करना
 अब तो माफ कर
मैं फसा परदेश में
 मेरी अम्मा बिटिया रोये
 मैं फसा परदेश में
 मेरी अम्मा बिटिया रोये
ऐसा भी क्या गुनाह किया रे
 मानुस पिंजरे में रोये
 भोले ऐसा भी क्या गुनाह किया रे
 मानुस पिंजरे में रोये
थक गए सोये सोये निंदिया होए
 थक गए सोये सोये निंदिया होए
फिरसे वही महका सा आंगन हो
 जब चाहे उड़ जाए जब चाहे मुड़ जाए
 जब चाहे उड़ जाए जब चाहे मुड़ जाए
 अपने देश को
फिर से वही महका सा आंगन हो
 फिर से वही महका सा आंगन हो